कम होंगी जितनी प्रेरणा कविताएँ लिखूं आप पर,
मुझ जैसे नव लेखक, जो लौट रहे थे थक कर ।
अंधड़, काल, बवंडर, हार से डर कर,
राह दिखाते उन्हें आप, मंज़िल पथ तय कर ।।
पत्रकारिता में सत्यवादिता, निष्ठा के दुर्गम पथ पर ,
काँटों पर भी चलते आप, बिना कुंठा चेहरे पर ।
डिगते कभी न आप, सिर्फ सत्य कहने के प्रण पर ,
भारतीय पत्रकारिता की मिसाल बनकर,
अडिग हैं आप, रक्षक हिमालय बनकर । ।
© हिमानी वशिष्ठ
You can also motivate me to write by sending your pictures, for more information kindly open the following link....
[आप भी कोई तस्वीर भेज कर मुझे लिखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.. अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक खोलें ]
0 comments:
Post a comment